jaanie babool ke gond ke chamatkari fayde
बबूल गोंद की जानकारी/चमत्कारी फायदे
बबूल जिसको कीकर, किक्कर, बाबला, बामूल आदि नामो से जाना जाता है. इसका पेड़ कांटेदार, बड़े या छोटे रूप में पुरे देश में सभी गाँवों शहरो में आसानी से मिल जाता है. इसके तीन भेद है – तेलिया बबूल, कोडिया बबूल और राम काँटा बबूल. इनमे से तेलिया बबूल मध्य आकार का होता है. कोडिया बबूल का वृक्ष मोटा व् छाल रूखी होती है. यह विदर्भ व् खानदेश में होता है. राम काँटा बबूल कि शाखाएं ऊपर उठी हुयी और झाड़ू कि तरह होती हैं. यह पंजाब राजस्थान व् दक्षिण में पाया जाता है.
बबूल गोंद की जानकारी -
रंग : इसका रंग हल्के पीले रंग का होता है।स्वाद : इसका स्वाद हल्का मीठा होता है।
स्वरूप : बबूल के पेड़ का गोंद बहुत ही प्रसिद्ध है। इसका निर्माण बबूल के सूखे हुए दूध से होता है।
स्वभाव : यह ठंडा होता है।
हानिकारक : कतीरा और विहीदाना के साथ इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
बबूल की गोंद के गुण -
बबूल की गोंद का प्रयोग करने से छाती मुलायम होती है। यह मेदा (आमाशय) को शक्तिशाली बनाता है तथा आंतों को भी मजबूत बनाता है। यह सीने के दर्द को समाप्त करता है, तथा गले की आवाज को साफ करता है। इसका प्रयोग फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इससे शरीर में धातु की पुष्टि होती है तथा यह वीर्य बढ़ता है। इसके छोटे-छोटे टुकड़े घी, खोवा और चीनी के साथ भूनकर खाने से शरीर शक्तिशाली हो जाता है। इसके इस्तेमाल से चुस्ती फुर्ती और ताज़गी आती है, गर्मियों में इसके इस्तेमाल से लू लगने से बच सकते हैं।
पुरुषों के लिए बबूल की गोंद के फायदे -
पुरुषों के लिए बबूल गोंद बहुत ही फायदेमंद दवा है, इसके इस्तेमाल से पौरुष बढ़ता है, बबूल का गोंद गर्मी के मौसम में एकत्रित किया जाता है। इसके तने में कहीं पर भी काट देने पर जो सफेद रंग का पदार्थ निकलता है। उसी को गोंद कहा जाता है। यह बाज़ार में भी किसी भी दुकान पर सहजता से मिल जाता है। सामान्यतः गोंद का सेवन 5 से 10 ग्राम तक किया जा सकता है। और अगर कहीं पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव दिखे तो इसको शांत करने के लिए पलाश की गोंद का सेवन किया जाता है।
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