Ganesh Chaturthi ko Chandra darshan Kyon Nahi Karna chahiye

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन क्यों नहीं करना चाहिए

                                                                           
Ganesh Chaturthi ko Chandra darshan Kyon Nahi Karna  chahiye
Ganesh Chaturthi

प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।  जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है।

चन्द्र-दर्शन से बचाव का मंत्र


इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-

सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥’


गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन की कथा


एक दिन गणेश जी चूहे की सवारी करते समय फिसल गये तो चन्द्रमा को उन्हें देख कर हंसी आ गयी। इस बात पर गणेश जी काफी क्रोधित होकर चन्द्रमा को श्राप दे दिया कि चन्द्र अब तुम किसी के देखने के योग्य नहीं रह जाओगे और यदि किसी ने तुम्हें देख लिया तो पाप का भागी होगा।

श्राप देकर गणेश जी वहॉ से चले गये। चन्द्रमा दुःखी व चिन्तित होकर मन नही मन अपराधबोध महसूस करने लगे कि सर्वगुण सम्पन्न देवता के साथ ये मैंने क्या कर दिया ? चन्द्रमा के दर्शन न कर पाने के श्राप से देवता भी दुःखी हो गये।

तत्पश्चात देवराज इन्द्र के नेतृत्व में सभी देवताओं ने गजानन श्री गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति प्रारम्भ कर दी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वर मॉगने को कहा। सभी देवताओं ने कहा प्रभु चन्द्रमा को पहले जैसा कर दो, यही हमारा निवेदन है। गणेश जी ने देवताओ से कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता हूं। किन्तु उसमें कुछ संशोधन कर सकता हूं।

जो व्यक्ति जाने-अनजाने में भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रमा के दर्शन कर लेगा, वह अभिशप्त होगा और उस पर झूठे आरोप लगाये जायेंगे। यदि इस दिन दर्शन हो जाये तो इस पाप से बचने के लिए निम्न मन्त्र का पाठ करे-

” सिंह प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्रोष स्यमन्तक”

                                  
गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन क्यों नहीं करना चाहिए

गणेश चतुर्थी



देवताओं ने चन्द्र से कहा तुमने गणेश जी पर हंसकार उनका अपमान किया है और हम लोगों ने मिलकर तुम्हारे अपराध को माफ करने की क्षमा-याचना की है, जिससे प्रसन्न होकर गजानन से सिर्फ एक वर्ष में भाद्र शुक्ल चतुर्थी को अदर्शनीय रहने का वचन देकर अपना श्राप अत्यन्त आशिंक कर दिया है। आप भी गणेश जी की शरण में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शुद्ध होकर संसार को शीतलता प्रदान करें।




हम उम्मीद करते हैं। दोस्तों आप सभी ने मेरा लिखा हुआ ब्लॉक को पढ़ा होगा। अगर आपको लगता है इस ब्लॉग में क्या होना चाहिए और क्या नहीं और इस को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता था।  तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। मैं कोशिश करूंगा ऐसे ही ब्लॉक के द्वारा जानकारी आप तक सबसे पहले और सबसे अलग पहुंचाता रहूं। धन्यवाद।


Comments

Popular posts from this blog

वस्त्र पहनने का मुहूर्त | दूसरों के कपड़े पहनने के नुकसान

सफर के समय उल्टी या चक्कर आए तो अपनाएं ये उपचार

कलयुग में क्या करें? और क्या ना करें? पाप से मुक्ति पाने के सरल उपाय?/What to do in Kalyug? What else not to do? Simple ways to get rid of sin?